20/06/2017
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री विनोद गोटिया ने कहा कि किसान परस्ती का ढोंग कांग्रेस की फितरत है। आजादी की लड़ाई में कांग्रेस ने किसानों का साथ लिया, लेकिन किसानों के समर्थन में सक्रिय होने के बजाय कांग्रेस ने हमेशा बिचैलियों और जमीदारों का साथ दिया। क्योंकि कांग्रेस किसानों को महज वोट बैंक समझती रही और किसानों का भावनात्मक शोषण किया। चंपारण और बारदोली आंदोलन की धुरी किसान ही रहे है। आगे चलकर किसान आंदोलन के पुरोधा स्वामी सहजानंद बनें। किसानों के संघर्ष में डॉ. जेपी लोहिया, श्री राहुल सांस्कृत्यान, श्री रामवृक्ष बेनीपुरी, श्री नरेन्द्र देव, श्री अशोक मेहता ने बागडोर संभाली। लेकिन कांग्रेस इन नेताओं को सक्रिय राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश नहीं करने दिया। कांगे्रसी आज किसान की विपत्ति के समय किसानों की कठिनाई में राजनैतिक रोटियां सेंककर सियासत कर रहे है।
उन्होनें कहा कि कांग्रेस को अपने गिरेहबान में झांकने का साहस दिखाना चाहिए। 1956 में मध्यप्रदेश का गठन हुआ और 2003 तक कमोवेश कांग्रेस सत्ता में रही। राजाओं, महाराजाओं के शासन और बाद में आजादी के बाद से मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्टेयर से आगे नहीं बढ़ी, लेकिन 2003 में सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसे 14 वर्षों में 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा दिया। हर खेत को पानी भारतीय जनता पार्टी की प्रतिबद्धता बनी है।
श्री विनोद गोटिया ने कहा कि हमें वास्तविकता की कसौटी पर कांगे्रस का किसान हितैषी परफार्मेन्स देखना होगा। बरगी जलाशय में खेती की परमिशन देकर सिंचन क्षमता को प्रभावित किसने किया ? प्रदेश की बाणसागर जैसी परियोजनाएं दो दशकों तक अधूरी क्यों रही ? नर्मदा घाटी की सिंचाई योजनाओं ने पश्चिमी मध्यप्रदेश को जल संकट से मुक्त किया। लेकिन कांग्रेस ने जी तोड़कर इन परियोजनाओं का विरोध करके मध्यप्रदेश के किसानों के हितों को आघात पहुंचाया है। कांगे्रस वास्तव में किसानों की गुनहगार है। आज किसानों की हितैषी होने का ढोंग करके कांग्रेस किसानों का विश्वास हासिल करनें में सफल नहीं होगी। भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि 2022 तक किसान की आय दोगुनी करके रहेंगे। इसका ताना-बाना बुना जा रहा है। खेती की अधोसरंचना का भारतीय जनता पार्टी ने सशक्तिकरण किया है। कांग्रेस झूठा श्रेय लेने में सफल नहीं होगी। कांग्रेस को बताना चाहिए कि उसने किसानों का सामान कारपोरेट के हवाले करके किसानों को बीज तक के लिए पराधीन बना दिया है। किसानों से 18 प्रतिशत ब्याज वसूलकर किसान के कंधे पर कर्ज का भार सौंप दिया। भाजपा सरकार ने जीरों प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मंजूर किया। किसान की तरफदारी करना कांग्रेस का ढोंग है।