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स्वावलंबी बनना चाहती हैं मध्यप्रदेश की महिलाएँ

भोपाल : गुरूवार, जून 1, 2017
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि आज प्रदेश की ग्रामीण एवं कमजोर वर्ग की महिलाएँ रोजगार से जुड़ना चाहती हैं। शासकीय योजनाओं का लाभ वितरण करते समय अनेक महिलाओं ने रोजगार के अवसर की माँग की है। यह सत्र महिलाओं के रोजगार की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। श्रीमती चिटनिस ने यह बात आज ग्लोबल स्किल एण्ड एम्पलॉयमेंट पार्टनरशिप समिट-2017 के ‘महिला कौशल उन्नयन एवं रोजगार संभावनाएँ” सत्र को संबोधित करते हुए कही।

शहरों में तो वर्किंग-वूमेन कांसेप्ट काफी बाद में आया, गाँवों में तो महिलाएँ सदियों से खेती-किसानी, डेयरी, कुटीर उद्योग के काम में सक्रिय रही हैं। महिला-बाल विकास मंत्री ने महिलाओं का आव्हान करते हुए कहा कि महिलाएँ दृढ़ निश्चय कर लें, तो कोई भी मुकाम हासिल कर सकती हैं। चुनौतियाँ ही अवसर हैं और इनका सामना स्वयं ही करना पड़ता है। किसी सहारे को लेकर बहुत आगे तक उन्नति नहीं की जा सकती। उन्होंने बैंकर्स से महिलाओं को उद्यम के लिये ऋण आसानी से स्वीकृत करने की अपील की।

चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेशचन्द्र गौतम ने कहा कि महिलाएँ कुशल होने के साथ पुरुषों से 30 प्रतिशत अधिक काम करती हैं। श्री गौतम ने कहा कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहने वाली बालिकाओं को शाम को 2 घंटे कौशल विकास शिक्षा भी दी जाती है और इसका प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षित कर उद्यमिता से जोड़ें। उन्होंने विश्वविद्यालय में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा चलाये जा रहे बेचलर ऑफ कम्युनिटी लीडरशिप कोर्स की भी जानकारी दी।

आईसेक्ट के अध्यक्ष श्री संतोष चौबे ने बताया कि देश में शिक्षा और प्रशिक्षण पर उनके 23 हजार केन्द्र संचालित हैं, जिनमें 2500 सेंटर महिलाएँ संचालित कर रही हैं। मध्यप्रदेश में विकासखण्ड-स्तर तक केन्द्र हैं। महिलाएँ केन्द्रों पर आधार-कार्ड, एनिमेशन, डिजाइन, कॉमन सर्विस सेंटर आदि सफलता से संचालित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के सेंटर में काम करने वाली बालिका की शादी अन्य राज्य में होने पर उसने वहाँ नया सेंटर खोलकर काम का विस्तार किया। उन्होंने प्रदेश में महिला संसाधन केन्द्र खोलने और आदिवासी महिलाओं के कौशल विकास पर जोर देने का सुझाव दिया।

मावे की निदेशक श्रीमती अर्चना भटनागर ने उद्यमिता विकास पर बोलते हुए कहा कि उनकी कम्पनी महिलाओं को ऋण, प्रशिक्षण, तकनीकी ज्ञान आदि देकर रोजगार में सहायता करती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश और देश में महिला उद्यमियों के लिये बहुत सारी योजनाएँ हैं, जिनका लाभ उठाकर आगे बढ़ें। ऐसी ही एक योजना स्टेण्ड-अप इण्डिया केवल महिलाओं के लिये है, जिसका उद्यमी अवश्य फायदा उठायें। उन्होंने सुझाव दिया कि मध्यप्रदेश की प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में 3 से 5 प्रतिशत तक स्थान महिलाओं के लिये आरक्षित करें।

ब्यूटी एण्ड वेलनेस की कार्यपालन अधिकारी सुश्री अनु वाधवा ने कहा कि सौंदर्य और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक करोड़ अतिरिक्त मानव संसाधन की आवश्यकता है, जिसका महिलाएँ भरपूर लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में उनके 3 सेलून हैं। आज 2 अन्य सेलून के लिये एमओयू हस्ताक्षरित करेंगे।

एपेरल सेक्टर के श्री रूपक वशिष्‍ठ ने बताया कि इस क्षेत्र में डेढ़ करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। कृषि के बाद यह सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। उनकी कम्पनी सिलाई और हाथ की कढ़ाई का प्रशिक्षण महिलाओं को उनके गाँव में ही देकर गाँव में ही रोजगार दिलायेगी।

एम.पी. कॉन के श्री राजीव सक्सेना ने कहा कि महिलाओं को केवल बोवनी, कटाई आदि के कामों से न जोड़कर मेकेनाइज्ड खेती से जोड़ें। उन्होंने कहा कि लघु वनोपज संग्रह में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। इन्हें सप्लाई चेन कम्पनी में जोड़ा जाना चाहिये। संयुक्त संचालक श्री बी.आर. विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री कौशल्या योजना और मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महिलाओं को टैक्सी ड्रायवर के रूप में रोजगार देने के लिये ओला कम्पनी ने एमओयू साइन किया है।

उद्योगपति श्री रोहितास मल्ल ने बताया कि मध्यप्रदेश में वे 23 साल से कृषि केन्द्र संचालित कर समाधान मित्र द्वारा किसानों की आवश्यकतानुसार सहायता कर रहे हैं। इनमें 100 समाधान मित्र महिलाएँ हैं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी श्रीमती स्नेहलता कुमार ने सत्र का संचालन किया। अपर मुख्य सचिव श्री राधेश्याम जुलानिया, प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया, आयुक्त महिला-बाल विकास श्रीमती जयश्री कियावत, विभिन्न विभाग के अधिकारी और महिला उद्यमी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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