आदि महोत्सव भारत की जनजातीय संस्कृति की शानदार प्रस्तुति : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
AdiPurush,#narendramodi,#PM,#primeministerofindia,#todayindia,#todayindianews,#todayindialive,#todayindia24प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार लगातार काम कर रही है ताकि जनजातिय उत्पादों की पहुंच अधिकांश बाजारों तक सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि जनजातिय समुदाय द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों की मांग बढ़ रही है और आज पूर्वोत्तर के उत्पादों का विदेशों में निर्यात किया जा रहा है। वे नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में विशाल राष्ट्रीय जनजातिय महोत्सव- आदि महोत्सव के उद्घाटन के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब बांस के उत्पादों का भी निर्यात किया जा रहा है। इससे पहले बांस की कटाई और इसका उपयोग सीमित था। उन्होंने कहा कि सरकार बांस को घास की श्रेणी में लाई है और सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भारत के जनजातिय लोगों से सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग समेत वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ संघर्ष के बारे में सीखना चाहता है। श्री मोदी ने कहा कि न्यू इंडिया सबका साथ सबका विकास के विजन के साथ काम कर रहा है और सरकार उन लोगों तक पहुंचने के प्रयास कर रही है जो लंबे समय से पहुंच से बाहर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब देश हाशिए में सटे समुदाय को प्राथमिकता देता है तो अपने आप प्रगति का रास्ता खुलता है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जनजातिय बच्चों की शिक्षा और भविष्य सरकार की प्राथमकिताएं हैं और सरकार ने देश में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों की संख्या बढ़ाकर पांच गुना कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातिय नागरिकों के लिए बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी बनाने से पर्यटन में भी सुधार आएगा। श्री मोदी ने कहा कि न्यू इंडिया के जनजातीय गांवों को बेहतर बुनियादी ढांचा और 4जी कनेक्टिविटी मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की शुरूआत इस वर्ष के बजट में की गई है जिससे वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और बाजार को सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनजातीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराएगी। श्री मोदी ने स्पष्ट किया कि पहली बार देश ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि आदि महोत्सव भारत की जनजातीय संस्कृति की शानदार प्रस्तुति है और यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत का सार भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि मोटे अनाज को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि विश्व अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मना रहा है। इस अवसर पर श्री मोदी ने जनजातिय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक हजार जनजातिय कलाकार आदि महोत्सव में भाग ले रहे हैं। 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 39 वन-धन विकास केंद्र भी इस महोत्सव में भाग ले रहे हैं। इस आदि महोत्सव में जनजातीय हस्तशिल्प, हैंडलूम, पेंटिंग, आभूषण, बांस, मिट्टी के बर्तन, खानपान और प्राकृतिक उत्पाद तथा जनजातीय खानपान की प्रदर्शनी लगी है और वस्तुओं की बिक्री भी की जा रही है। आदि महोत्सव में 200 से अधिक स्टॉल में देश भर से जनजातीय विरासत की समृद्ध और अलग-अलग विरासत को प्रदर्शित किया गया है। आदि महोत्सव में संस्कृति, शिल्प, खानपान, वाणिज्य और पारंपरिक कला समेत जनजातीय भावना का जश्न मनाया जा रहा है, यह इस महीने की 27 तारीख तक चलेगा। अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज के वर्ष के जश्न के अनुरूप जनजातीय समुदाय द्वारा लगाए जा रहे श्री अन्न को प्रदर्शित करते हुए विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
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