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प्रदेश भर में गौ पूजन के साथ गौ हत्या पर सियासत के विरोध में प्रदेश व्यापी प्रदर्शन संपन्न – अभिलाष पाण्डे

30/05/2017
भोपाल। भारतीय जनता युवा मोर्चा ने प्रदेश के सभी संगठनात्मक 56 जिलों में गौमाता का पूजन किया और गौर हत्या पर सियासत के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किया। वध के लिए पशुओं के विक्रय पर रोक का निर्णय केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लिया गया है जिससे पशुओं के प्रतिकू्ररता को निरूत्साहित किया जा सके। फिर गौवंश के साथ समाज की आस्था जुड़ी हुई है। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री अभिलाष पाण्डे ने कहा कि गौ वध, गौ वंश के विनाश जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सियासत करना न तो उचित है और न देशहित में हैं। जिस गौमता को कृषि अर्थ व्यवस्था का स्तंभ आधार माना गया और गांधीजी ने भी सम्मान दिया उसी गौ का कांग्रेसियों द्वारा केरल में सार्वजनिक रूप से वध किया जाना कांग्रेस की घृणित मानसिकता का सबूत देती है।
श्री अभिलाष पाण्डे ने कहा कि केरल में युवक कांग्रेस द्वारा किये गये कुकृत्य पर कार्यकर्ताओं को पार्टी ने दंडित कर अपनी असहमति व्यक्त की है, लेकिन कांग्रेस इस कुकृत्य की जवाबदेही से बच नहीं सकती है। पाण्डे ने कहा कि इस मामले में मानवाधिकार वादियों और सेकुलरवादियों की खामोसी से इस तमाम विवाद में उनकी रजामंदी की पोल खुल चुकी है। जो असहिष्णुता का आरोप लगाते हैं वे स्वयं इस हिंसात्मक कुकृत्य से आंखे बंद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के ताजा निर्णय से लोगों की असहमति हो सकती है। लेकिन आपत्तियों के निराकरण के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं। संशोधन और सहमति लोकतंत्र का आधार है, लेकिन जिस तरह सेकुलरवाद की आड़ में कांग्रेस और वाम पंथियों ने सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने, तकरार पैदा करने का रास्ता अपनाया है न इसे लोकतांत्रिक और न संवैधानिक कहा जा सकता है। युवक कांग्रेस ने जन भावनाएं आहत करने और नफरत की सियासत को प्रोत्साहन देने का काम किया है जो निन्दनीय है।
श्री अभिलाष पाण्डे ने कहा कि इसी तरह केरल के मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण राज्य और केंद्र में टकराव, खलल पैदा करने का है जो निदंनीय है। असल में कांग्रेस और वामपंथी लोकसभा में मिली पराजय का दर्द भूल नहीं पा रहे हैं और एनडीए के कदम कदम पर अवरोध उत्पन्न कर नकारात्मक मानसिकता से समाज को क्षति पहुंचा रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख सुश्री ममता बनर्जी आग में घी डालकर लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश सफल नहीं होगी। उन्होंने पं. बंगाल में तुष्टीकरण के जो बीज बोये थे उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।

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