भोपाल : रविवार, दिसम्बर 11, 2016
पर्यावरण और नदी संरक्षण के लिये दुनिया का सबसे बड़ा जनअभियान आज मध्यप्रदेश की धार्मिक और पौराणिक नगरी अमरकंटक से शुरू हुआ। नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा के रूप में इस महत्वाकांक्षी अभियान का माँ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आचार्यों, महामण्डलेश्वरों, संत-महात्माओं, मंत्रीमण्डल के सदस्यों और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पूजा-अर्चना कर माँ नर्मदा के जयघोष के साथ शुभारंभ किया गया। सभी संतों ने अभियान की सराहना करते हुए इसकी सफलता की कामना की।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि माँ नर्मदा आज संकट में है। जंगल कम होने से नदी की धार कम हो गई है। माँ नर्मदा ने हमें पानी, बिजली, फसलें, फल,फूल सब्जी आदि सबकुछ दिया है, लेकिन हमने उसे प्रदूषित कर विभिन्न बीमारियों का न्यौता दिया है जिससे जीवन का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है सम्हलने की और इस अपराध का प्रायश्चित करने को। यह प्रायश्चित वृक्षारोपण करने, जैविक खेती करने, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से पूरा होगा।
संतों-महात्माओं की गरिमामय उपस्थिति
यात्रा के शुभारंभ समारोह में स्वामी अखिलेश्वरानन्द महाराज, परमपूज्य संत हरिहरानन्द, परमपूज्य संत प्रज्ञा भारती, परमपूज्य संत नर्मदानंद आदि संत-महात्मा, गुजरात के गृह मंत्री श्री प्रदीप सिंह जडेजा, सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, वन मंत्री एवं नर्मदा सेवा यात्रा के प्रभारी श्री गौरीशंकर शेजवार, उद्योग एवं खनिज मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला, लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा श्रम मंत्री श्री ओमप्रकाश धुर्वे, नर्मदा घाटी और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री लालसिंह आर्य, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय और श्री राघवेन्द्र गौतम, आदिवासी वित्त एवं विकास निगम अध्यक्ष श्री शिवराज शाह, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री शिव चौबे, राष्ट्रीय नेहरू युवा केन्द्र के उपाध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा, नर्मदा यात्रा संयोजक डॉ जितेन्द्र जामदार, सांसद श्री ज्ञान सिंह, श्री अजय प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में आयोगों के अध्यक्ष, विधायक एवं जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धार्मिक नगरी अमरकंटक को सबसे सुंदर तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। नर्मदा नदी में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिये साढ़े पंद्रह करोड़ रूपये से सीवेज ट्रीटमेंट प्लान स्थापित किया जायेगा। नर्मदा नदी के तटों पर बसे गरीबों को पक्के मकान बनाकर दिये जायेंगे। साथ ही व्यवस्थित दुकानें बनाई जायेंगी और शहर को नये ढंग से व्यवस्थित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न उद्देश्य को लेकर शुरू की गई 3334 किलामीटर की यह यात्रा नर्मदा के दोनों तट से गुजरेगी जो 144 दिन में सम्पन्न होगी। यात्रा के दौरान दोनों तट पर एक-एक किलोमीटर तक फलदार, छायाछार पौधों का रोपण, स्वच्छता, जैविक खेती, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, के प्रति लोगों को जागरूक किया जायेगा। यह समाज और सरकार के सामूहिक संकल्प का प्रयास होगा। श्री चौहान ने इस संबंध में उपस्थितजन को संकल्प भी दिलाया। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा के तट पर स्थित गाँवों में स्वच्छ शौचालय निर्माण और नगरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था, घाटों पर पूजन कुण्ड, मुक्ति धाम और महिलाओं के लिये चेंजिंग रूम बनाने का कार्य करवाया जायेगा। यात्रा का समापन 11 मई 2017 को अमरकंटक में होगा।
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने कहा कि माँ नर्मदा गुजरात की जीवनदायिनी है। उन्होंने गुजरात की जनता की ओर से यात्रा की सफलता की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा की पवित्रता के संरक्षण का यह अभियान कामयाब होगा। इस कार्यक्रम से ऐसा ही प्रयास गुजरात में करने की प्रेरणा हमें मिली है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश माँ नर्मदा का एक छोर और गुजरात दूसरा छोर है। माँ नर्मदा के जल का उपयोग मानव विकास में हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अथक प्रयास कर माँ नर्मदा का जल गुजरात में देश की सीमा तक पहुँचा दिया है।
श्री भैय्याजी जोशी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह श्री भैय्याजी जोशी जी ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति नदियों के तट पर विकसित हुई है। ऐसी पवित्र भूमि में हम सबको जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ है जहाँ नदियों को माँ माना गया है। हमारी संस्कृति कहती है पंचभूतों को देवता मानकर उनकी पूजा करें क्योंकि पंचभूतों से ही शरीर का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा नदियाँ, वृक्ष, प्राकृतिक संसाधन हमारे लिये हैं इसलिये उनका संरक्षण करना हमारा परम कर्त्तव्य है। किसी भी कारखाने में वृक्ष और जल का निर्माण नहीं होता है। उन्होंने सबसे वृक्ष लगाने का आव्हान किया।
विधानसभा अध्यक्ष श्री शर्मा
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री सीताशरण शर्मा ने यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह यात्रा जन-कल्याण और प्रदेश की प्रगति में बहुत उपयोगी होगी। वन मंत्री एवं यात्रा प्रभारी डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा कि यात्रा का धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि
महामण्डलेश्वर परमपूज्य श्री अवधेशानन्दगिरि महाराज ने कहा कि मानव का अस्तित्व जल से ही है। सारे संस्कार और संकल्प जल से ही सम्पन्न होते हैं। उन्होंने नदी और पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत कम बची है। भविष्य में जल के लिये युद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा नदी की मूल उत्पत्ति वृक्षों से हैं। इसलिये इसे जीवंत और पवित्र रखने के लिये एकमात्र अनुष्ठान सघन वृक्षारोपण है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान वृक्षारोपण के लिये वे अनेक संतों के साथ शामिल होंगे। उन्होंने यात्रा की सफलता की कामना की।
परमपूज्य संत महामण्डलेश्वर श्रीसुखदेवानन्द ने कहा कि गंगा माँ के जलपान, यमुना के स्नान और माँ नर्मदा के दर्शन से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है। दुनिया की एकमात्र नदी माँ नर्मदा है जिसकी परिक्रमा की जाती है। उन्होंने मुख्यमंत्री के यात्रारूपी प्रयास की सराहना की और संस्कृति के उत्थान, सबके कल्याण की कामना की।
परमपूज्य संत महामण्डलेश्वर श्री कल्याणदास ने कहा कि माँ नर्मदा के पावन तट पर एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस यात्रा से माँ नर्मदा की कृपा से प्रदेश की सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
परमपूज्य संत महामण्डलेश्वर श्री चिदानन्द महाराज ने कहा कि जिस दिन शासक अपने को सेवक समझने लगता है उस दिन राज्य के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान के व्यक्तित्व और कृतित्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज समय आया है नदियों के संरक्षण के लिये आगे आने का। नदियों ने ही सबसे पहले हमें मानव अधिकार का संदेश दिया। आज नदियों के अधिकार की बात होनी चाहिये। उन्होंने नदियों के तटों पर फलदार पौधे लगाने और जैविक खेती करने का आव्हान किया।
परमपूज्य संत श्री विवेक ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि नदियों की परिपूर्णता में संपूर्ण भारत के गौरव सत्य समाहित है। नदियों के किनारे ही सभ्यता और संस्कार के अंकुर विकसित हुए और समाज का निर्माण हुआ। यह भारत के गौरव के पुर्नउद्धभव की यात्रा है। नदियों के संरक्षण और संवर्धन का दायित्व जन-जन का है। इस यात्रा से इस संबंध में जनजागृति आयेगी। परमपूज्य संत श्री दद्दा जी ने भी यात्रा की सराहना करते हुए नर्मदा की शुद्धता और पर्यावरण के संरक्षण के लिये वृक्षों का महत्व बताया। उन्होंने सभी से वृक्षारोपण का आव्हान किया।
रैमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जलपुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत के कुंभों में नदियों की पवित्रता, पर्यावरण स्वच्छता और सामाजिक समस्याओं पर विमर्श होता था। यात्रारूपी यह प्रयास भी आध्यात्म और समाज के बीच सेतु बनाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा के दोनों तट को हरा-भरा बनाना और नदी में गदंगी प्रवाहित न करना समाज का दायित्व है। संतों की भूमिका राज और समाज को जोड़ने की है।
प्रारंभ में आचार्यों, महामण्डलेश्वरों और संतों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने माँ नर्मदा के उद्गम स्थल पर माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना की और चुनरी चढ़ाई। संत-महात्माओं और उपस्थित अतिथियों के उदबोधन के बाद संत समाज से मुख्यमंत्री ने यात्रा का ध्वज ग्रहण किया और नर्मदा सेवा यात्रा पर प्रस्थान किया। आभार प्रदर्शन सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग राज्य मंत्री श्री संजय-सत्येन्द्र पाठक ने किया। इस दौरान पूरा वातावरण आस्था और उमंग से परिपूर्ण था।