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25 august 2021 ki top news   
narendra modi,Primeminister narendra modi,PM,prime minister of india,todayindia,todayindianews,today india,todayindialive,24,topnews25august2021,currentaffairs,25august2021kikhaskhabren,studymaterial,competativeexamstudymaterial  प्रधानमंत्री ने 37वीं प्रगति बैठक की अध्‍यक्षता की
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज सक्रिय शासन संचालन और समयबद्ध क्रियान्‍वयन के लिए केंद्र और राज्‍य सरकारों से संबंधित आईसीटी आधारित मल्‍टी-मॉडल प्‍लेटफॉर्म -प्रगति के 37वें संस्‍करण की बैठक की अध्‍यक्षता की।

बैठक में कार्यसूची के नौ मदों की समीक्षा की गई, जिनमें आठ परियोजनाएं और एक योजना शामिल थी। आठ परियोजनाओं में से तीन–तीन परियोजनाएं रेल मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की थीं और दो परियोजनाएं विद्युत मंत्रालय से संबंधित थी। 14 राज्‍यों अर्थात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, मणिपुर और दिल्ली से संबंधित इन आठ परियोजनाओं की संचयी लागत 1,26,000 करोड़ रुपये है।

प्रधानमंत्री ने इन परियोजनाओं को समयबद्ध रूप से पूरा करने के महत्‍व पर बल दिया।

बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना की समीक्षा की। उन्‍होंने अधिकारियों से इस योजना के तहत विकसित किए गए प्रौद्योगिकीय प्‍लेटफॉर्म की विविध उपयोगिताओं का पता लगाने को कहा, ताकि नागरिकों को व्‍यापक लाभ मुहैया कराना सुनिश्चित किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने राज्‍य सरकारों के अधिकारियों को ऑक्‍सीजन संयंत्रों के निर्माण और अस्‍पतालों में बिस्‍तरों की उपलब्‍धता पर लगातार नज़र बनाए रखने के निर्देश दिए।

पिछली 36 प्रगति बैठकों में, 13.78 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 292 परियोजनाओं की समीक्षा की गई।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गन्‍ने का लाभकारी मूल्‍य बढा कर 290 रुपये प्रति क्विंटल किया
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने गन्‍ने का लाभकारी मूल्‍य बढ़ाकर दो सौ नब्‍बे रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है जो कि अब तक का सबसे उचित और उच्‍चतम मूल्‍य है।

वाणिज्‍य, उपभोक्‍ता मामले, खादय और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मंत्रिमंडल के इस फैसले से पांच करोड़ गन्‍ना किसानों और उनके आश्रितों को लाभ होगा। मीडिया से बातचीत में श्री गोयल ने कहा कि इस फैसले का लाभ चीनी मिलों के पांच लाख कामगारों और उनसे जुड़ी गतिविधियों में शामिल लोगों को भी मिलेगा।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि केन्‍द्र सरकार ने किसानों को गन्‍ने का लाभकारी मूल्‍य दिलाने और गन्‍ने के जल्‍द भुगतान के लिए कई महत्‍वपूर्ण कदम उठाये हैं। उन्‍होंने कहा कि गन्‍ने के निर्यात को बढावा देने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। सरकार एथनॉल का उत्‍पादन बढाने के लिए काम कर रही है, इससे किसानों को लाभ होगा।
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केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया

“किसानों को खुशहाल व सशक्त बनाने हेतु समय समय पर मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, अपने उसी संकल्प को दोहराते हुए आज कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के लिए गन्ने का FRP मूल्य अब तक का उच्चतम ₹290 प्रति क्विंटल करने के निर्णय पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त करता हूँ”

“सुगम किसानी-आत्मनिर्भर किसान की दिशा में लिए गये इस निर्णय से चीनी के निर्यात व इथेनॉल के उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे गन्ना उत्पादकों की आय बढ़ेगी”

“मोदी सरकार का ये कल्याणकारी निर्णय देश के 5 करोड़ गन्ना किसान परिवार व इससे जुड़े 5 लाख श्रमिकों को अभूतपूर्व लाभ प्रदान करेगा”
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य(FRP) बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। अपने श्रृंखलाबद्ध ट्वीट्स में श्री अमित शाह ने कहा कि “किसानों को खुशहाल व सशक्त बनाने हेतु समय समय पर मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अपने उसी संकल्प को दोहराते हुए आज कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के लिए गन्ने का FRP मूल्य अब तक का उच्चतम ₹290 प्रति क्विंटल करने के निर्णय पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त करता हूँ”।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “सुगम किसानी-आत्मनिर्भर किसान की दिशा में लिए गये इस निर्णय से चीनी के निर्यात व इथेनॉल के उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे गन्ना उत्पादकों की आय बढ़ेगी। मोदी सरकार का ये कल्याणकारी निर्णय देश के 5 करोड़ गन्ना किसान परिवार व इससे जुड़े 5 लाख श्रमिकों को अभूतपूर्व लाभ प्रदान करेगा”।

एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श के बाद किया गया है। स्वीकृत एफआरपी चीनी मिलों द्वारा चीनी सीजन 2021-22 (1 अक्टूबर, 2021 से प्रारंभ) में किसानों से गन्ने की खरीद के लिए लागू होगी। चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित क्षेत्र है जो कृषि श्रम और परिवहन सहित विभिन्न सहायक गतिविधियों में कार्यरत लोगों के अलावा लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों एवं चीनी मिलों में सीधे कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों की आजीविका से जुड़ा है।
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केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि अफगानिस्‍तान के नागरिक केवल ई-वीजा से भारत यात्रा कर सकेंगे
भारत सरकार ने घोषणा की है कि अब अफगान नागरिक केवल ई-वीजा के द्वारा ही भारत की यात्रा कर सकेंगे। अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

ऐसी ख़बर है कि कुछ अफगान नागरिकों के पासपोर्ट खो गये हैं। इसे देखते हुए अफगान नागरिकों को पहले से जारी किए गए वीजा, जो वर्तमान में भारत में नहीं हैं, तत्काल प्रभाव से निरस्‍त कर दिया गया हैं। भारत की यात्रा करने के इच्छुक अफगान नागरिक www.indianvisaonline.gov.in पर ई-वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए नीति आयोग और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने शुरू की परियोजना
नीति आयोग और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई), इंडिया ने संयुक्त रूप से 23 अगस्त को एनडीसी-ट्रांसपोर्ट इनीशियेटिव फोर एशिया (एनडीसी-टीआईए) परियोजना के तहत भारत में ‘फोरम फॉर डीकार्बनाइजिंग ट्रांसपोर्ट’ कार्यक्रम शुरू किया है। यह परियोजना देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा और कार्बन उत्सर्जन में गिरावट के लिए अहम भूमिका निभाएगी।

क्या है इसका उद्देश्य

इस परियोजना का उद्देश्य एशिया में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन के बड़े हुए स्तर को नीचे लाना है, जिसमें परिवहन क्षेत्र प्रमुख है। इस परियोजना के तहत वायुमंडल के तापमान को दो डिग्री तक कम करने का लक्ष्य है। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की वजह सेसंकुलन(कंजेशन) और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं होती हैं।

परिवहन क्षेत्र है बड़ा कार्बन उत्सर्जक

भारत का परिवहन क्षेत्र बहुत विशाल और विभिन्न रूप में है, जो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2018 और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए), 2020 के डेटा से पता चलता है कि परिवहन क्षेत्र में शामिल सड़क परिवहन, कॉर्बन डाईऑक्साइड के कुल उत्सर्जन में 90% से अधिक का योगदान देता है।

सरकार उठा रही है कई कदम

कई नीतिगत उपायों और पहलों के माध्यम से, भारत सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने पर मुख्य ध्यान देने के साथ सड़क परिवहन के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को घटाने(डीकार्बनाइजेशन) की दिशा में लगातार काम कर रही है। नीति आयोग नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफोर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज के माध्यम से ईवी और सतत आवाजाही को बढ़ावा देने में शीर्ष भूमिका निभा रहा है।
हालांकि, देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों का लाभ उठाने और उन्हें कारगर बनाने की खातिर विभिन्न हितधारकों के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। इन हितधारकों में केंद्र/राज्य सरकारें, राज्य-नामित एजेंसियां, वित्तीय संस्थान, व्यवसाय, मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम), अनुसंधान एवं तकनीकी संस्थान, निजी निकाय और थिंक टैंक शामिल हैं। इन हितधारकों के बीच एक समन्वित प्रयास, निवेश को सक्षम बनाने, इलेक्ट्रिक वाहनों कोअपनाने को प्रोत्साहित करने और उद्योग में उचित संचालन सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

व्यापार का उपयुक्त मॉडल होगा विकसित

एनडीसी-टीआईए इंडिया प्रभावी नीतियों की एक सुसंगत रणनीति विकसित करने और देश में परिवहन क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के लिए एक बहु-हितधारक फोरम के गठन पर केंद्रित है। इस मंच के माध्यम से, डब्ल्यूआरआई भारतीय टीम के साथ नीति आयोग और अन्य परियोजना भागीदार, साथ मिलकर करीब से काम करेंगे ताकि भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में तेजी लाने के लिए रणनीति तैयार की जा सके और व्यापार का उपयुक्त मॉडल विकसित किया जा सके। फोरम समान नीतियों के विकास के लिए संवाद शुरू करने और परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन को कम करने में मदद के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

नीति आयोग के सीईओ ने अपने मुख्य संबोधन में कहा, “स्टेकहोल्डर फोरम ऑन ट्रांसपोर्ट डीकार्बनाइजेशन देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक क्रांतिकारी पड़ाव है। यह मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, बहुपक्षीय एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार को एक साझा मंच पर लाएगा। यह व्यापार के एक अभिनव मॉडल के विकास में मदद करेगा अनुकूल नतीजे आएंगे और भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र का समग्र विकास होगा। प्रभावी सहयोग, समन्वय और अभिसरण के माध्यम से, हमें भारत में स्वच्छ आवाजाही की शुरुआत करनेके लिए मिलकर काम करना चाहिए।”

डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ डॉय ओ.पीय अग्रवाल ने कहा, “भारत के पास अपने शहरी परिवहन क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने का एक बड़ा अवसर है। देश को मोटर वाहनों के विद्युतीकरण के साथ-साथ पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनानी चाहिए।”

क्या है एनडीसी-ट्रांसपोर्ट इनीशियेटिव फोर एशिया

एनडीसी ट्रांसपोर्ट इनिशिएटिव फोर एशिया (टीआईए 2020-2023)सात संगठनों का एक संयुक्त कार्यक्रम है जो चीन, भारत और वियतनाम को अपने-अपने देशों में परिवहन क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से काम कर रहा है। यह परियोजना इंटरनेशनल क्लाइमेट इनीशियेटिव (आईकेआई) का हिस्सा है। जर्मनी का पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा मंत्रालय भी जर्मनी की संसद द्वारा स्वीकृत निर्णय के आधार पर इस पहल का समर्थन करता है। भारत की तरफ से नीति आयोग इस परियोजना भागीदार है
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बैंक कर्मचारी परिवार पेंशन को अंतिम आहरित वेतन के 30% तक बढ़ाया जाएगा

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के एनपीएस कॉर्पस में बैंकों का योगदान 14% तक बढ़ाया जाएगा
बैंक कर्मचारियों के परिवारों को राहत देने के लिए, सरकार ने इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन के परिवार पेंशन को अंतिम आहरित वेतन के 30% तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम से बैंक कर्मचारियों की प्रति परिवार पारिवारिक पेंशन 30,000 रुपये से 35,000 रुपये तक हो जाएगी। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने आज मुंबई में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संबोधित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।

सचिव ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के वेतन संशोधन पर 11वें द्विपक्षीय समझौते में, जिस पर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने 11 नवंबर, 2020 को यूनियनों के साथ हस्ताक्षर किए थे, राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत पारिवारिक पेंशन वृद्धि और नियोक्ता के योगदान की बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव था। इसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि “पहले इस योजना में पेंशनभोगी के अंतिम आहृत वेतन का 15, 20 और 30 प्रतिशत का स्लैब था। इसकी अधिकतम सीमा 9,284/- रुपये थी। वह बहुत ही मामूली राशि थी जिसके बारे में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण चिंतित थीं और चाहती थीं कि इसे संशोधित किया जाए ताकि बैंक कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को जीवन यापन के लिए एक बेहतर राशि मिल सके।

सरकार ने नई पेंशन योजना के तहत नियोक्ताओं के योगदान को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 14% करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के हजारों परिवार लाभान्वित होंगे, जबकि नियोक्ताओं के योगदान में वृद्धि से नई पेंशन योजना के तहत बैंक कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी।

वित्त मंत्री ने अपनी दो दिवसीय मुंबई यात्रा के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज की समीक्षा की और स्मार्ट बैंकिंग के लिए ईज़ 4.0 सुधार एजेंडा लॉन्च किया।
===========================Courtesy============================= 100 दिवसीय ‘सुजलम’ अभियान की शुरुआत
ग्रामीण स्तर पर अपशिष्ट जल प्रबंधन करते हुए ज्यादा से ज्यादा गावों को ओडीएफ प्लस गांव बनाने का अभियान
ओडीएफ लाभ की निरंतरता बनाए रखने और दस लाख सोख गड्ढों का निर्माण करने के लिए ‘सुजलम’ अभियान
‘सुजलम’ अभियान का उद्देश्य पूरे देश के गांवों को ओडीएफ प्लस वाली स्थिति में त्वरित रूप से परिवर्तित करना है
जल शक्ति मंत्रालय ने’आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के अंतर्गत’सुजलम’ की शुरुआत की है, जिसके द्वाराग्रामीण स्तर पर अपशिष्ट जल प्रबंधन करते हुए,विशेष रूप से दस लाख सोख-गड्ढों का निर्माण करके और अन्य ग्रेवॉटर प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से, ज्यादा से ज्यादा गावों को ओडीएफ प्लस गांवों में परिवर्तित किया जा सके। इस अभियान के प्रयास को कम से कम समय में त्वरित रूप से पूरे देश के गांवों के लिए ओडीएफ प्लस वाली स्थिति प्राप्त करने की दिशा में संचालित किया जाएगा। इस अभियान की शुरुआत आज यानी 25 अगस्त, 2021 को हुई है और यह अगले 100 दिनों तक चलेगा।

इस अभियान के माध्यमसे न केवल गांवों में ग्रेवॉटर प्रबंधन के लिए वांछित बुनियादी संरचनाअर्थात् सोख गड्ढों का निर्माण किया जाएगा बल्कि वाटरबॉडीजके सतत प्रबंधन में भी सहायता प्राप्त होगी। गांवों में या गांवों के बाहरी इलाकों में गंदे पानी का निष्कासन और वाटरबॉडीज का निस्तारण एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इस अभियान से अपशिष्ट जल प्रबंधन में सहायता प्राप्त होगी और बदले में वाटरबॉडीज को पूर्वरूप में लाने मेंसहायता मिलेगी।

इसके अलावा, इस अभियान के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी के द्वारा एसबीएमजी फेज IIकी गतिविधियों को तीव्रताप्राप्त होगी और इससे ओडीएफ-प्लस गतिविधियों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा।इसलिए निर्मित बुनियादी संरचना का दीर्घकालिक रखरखाव और स्थिरता सुनिश्चित करना आवश्यक है।

इस अभियान में एसबीएमजी फेज I के दौरान प्राप्तकिए गए जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन वाले मंच का उपयोग किया जाएगा और एसएलडब्ल्यू प्रबंधन के माध्यम से दृश्य स्वच्छता की प्राप्ति के साथ-साथ इसकी निरंतरता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

इस अभियान के अंतर्गत गांवों में आयोजित की जाने वाली प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं:

वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सामुदायिक परामर्श, खुली बैठक और ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन।
ओडीएफ की निरंतरता बनाए रखने और ग्रेवॉटर प्रबंधन करने के लिए सोख गड्ढों की आवश्यक संख्या की प्राप्ति के लिए संकल्प पारित करना।
निरंतरताबनाए रखने और सोख गड्ढों के निर्माण संबंधी गतिविधियों की शुरुआत करने के लिए 100 दिवसीययोजना विकसित करना।
आवश्यक संख्या मेंसोख गड्ढों कानिर्माण करना।
आईसी के माध्यम से जहां आवश्यक हो वहां पर शौचालय को पुर्ननिर्मित करना।
सुनिश्चित करना कि गांव के सभी नए परिवारों को शौचालय की सुविधा प्राप्त हो।
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उपराष्ट्रपति ने देश के युवाओं से कड़ी मेहनत करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ओलंपियनों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया

कठिन परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता और यह हमेशा सकारात्मक परिणाम देता है: उपराष्ट्रपति

संकट के समय में एक दूसरे की सहायता करना ही हमारी संस्कृति का मूलतत्त्व है: उपराष्ट्रपति

सीखना एक अंतहीन लेकिन लाभदायक प्रक्रिया है, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही एक साथ आगे बढ़ते हैं: उपराष्ट्रपति

शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों में आने वाले भावनात्मक तनाव के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए: उपराष्ट्रपति

हमें पुस्तकों से परे जाकर सीखने की अनुभवात्मक पद्धति का पता लगाने की आवश्यकता है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने शिवाजी कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के समापन सत्र को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज देश के युवाओं से उन ओलंपिक खिलाडियों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, जिन्होंने न केवल अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया, बल्कि विभिन्न खेलों में लोगों की व्यापक रुचि भी पैदा की है।

युवाओं से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने का आग्रह करते हुए श्री नायडु ने कहा कि कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और इसका हमेशा सकारात्मक परिणाम मिलता है। उन्होंने कहा कि “कभी हार मत मानो, अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करो और दुनिया के सामने आदर्श बनो।”

शिवाजी कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के समापन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को शैक्षिक कक्षाओं और मनोरंजन तथा खेल के लिए एक समान समय बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों में भाग लेने से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है, टीम भावना का निर्माण होता है और शारीरिक फिटनेस में भी सुधार होता है, जो कि हमारी जीवन शैली से संबंधित बीमारियों की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि “खेल को पाठ्यक्रम का आवश्यक हिस्सा बनाया जाना चाहिए और छात्रों को खेलों एवं अन्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियों पर समान रूप से परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।”

एक छात्र के जीवन में परिवर्तन लाने वाली शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति कितना भी सफल हो जाए, उसे अपने जीवन को आकार देने में अपने शिक्षकों की मुख्य भूमिका को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक छात्रों को जो मान्‍यताएं एवं शिक्षा देते हैं, वह एक व्यक्ति के जीवन और समाज को बड़े पैमाने पर आकार देने में मदद करती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीखना एक अंतहीन, लेकिन लाभदायक प्रक्रिया है, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही एक साथ आगे बढ़ते हैं।

उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि हमारे शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ छात्रों में कठिन परिस्थितियों का साहस और धैर्य के साथ सामना करने की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों द्वारा सामना किए जाने वाले भावनात्मक तनाव के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हुए कि जनसांख्यिकीय लाभ और अत्यधिक प्रतिभाशाली युवाओं की उपस्थिति को देखते हुए भारत के लिए विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में विश्व नेता बनने की अपार संभावना है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि “हमें पुस्तकों से परे जाकर सीखने की अनुभवात्मक पद्धति का पता लगाने की आवश्यकता है।” उन्होंने विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए कहा कि अनुभवात्मक अधिगम दृष्टिकोण का पालन ‘गुरुकुलों’ में किया जाता था, जहां पर छात्रों को उनके गुरुओं द्वारा खुले वातावरण में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए व्यावहारिक तरीके से पढ़ाया और सिखाया जाता था। उन्होंने कहा कि सीखने का अनुभवात्मक तरीका, जो छात्रों को गंभीर और रचनात्मक रूप से सोचने में मदद करता है, आगे का मार्ग है और इसे हमारी शिक्षा प्रणाली में अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।

कोविड -19 महामारी के दौरान लोगों द्वारा दिखाई गई एकता की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “मानव जाति के सामने आई सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक को सामूहिक रूप से दूर करने के लिए, व्यक्तियों से लेकर समुदायों तक और स्वैच्छिक संगठनों से लेकर राज्य एजेंसियों तक भारत में हर कोई सामूहिक रूप से आगे आया।” उपराष्ट्रपति ने कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान प्रभावित हुए व्यक्तियों और उनके परिवारों तक स्वास्थ्य आपातकालीन सहायता प्रदाताओं को पहुंचाने की पहल करने के लिए शिवाजी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की सराहना की। इस बात पर जोर देते हुए कि संकट के समय में एक दूसरे की सहायता करना ही हमारी संस्कृति का मूलतत्त्व है, श्री नायडू ने कहा कि “मुझे खुशी है कि हम एक समुदाय के रूप में सहयोग और देखभाल के अपने प्राचीन दर्शन पर खरे उतरे हैं।”

उपराष्ट्रपति ने शिवाजी कॉलेज के छात्रों की सामुदायिक सेवा तथा पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पहल में शामिल होने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल में शामिल होना महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे अवसर छात्रों की नागरिक संवेदनाओं को ढालने में मदद करते हैं और उनमें करुणा कि भावना भी पैदा करते हैं। उन्होंने कहा, “उत्साह और करुणा को साथ-साथ चलना चाहिए।”
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीसी जोशी, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर बलराम पाणि, दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस के निदेशक प्रोफेसर सुमन कुंडू और शिवाजी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. शिव कुमार सहदेव तथा अन्य लोग वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।
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केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने UNESCAP के आपदा, जलवायु और स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित मंत्रालयी पैनल की क्षेत्रीय परिचर्चा में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए भाग लिया

श्री नित्यानंद राय ने कहा “भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी हमेशा दुनिया को सहयोग और दुनिया से सहयोग के भाव से काम करते हैं”

कोविड-19 ने हमें अनियंत्रित आपदा के खतरे से अवगत कराया है, इसने यह दिखा दिया है कि किस प्रकार आपदा का प्रभाव तेजी से बढ़ सकता है

इस वर्ष मार्च में आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने एक ऐसे वैश्विक ईको-सिस्‍टम को सुदृढ़ करने की आवश्‍यकता का आह्वान किया जो विश्‍व के सभी हिस्‍सों में नवाचार का समर्थन करता हो

विगत छ: वर्षों से भारत, सार्क, बिमस्टेक, शंघाई सहयोग संगठन, इंडियन ओशन रिम एसोसियशन, फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड कार्पोरेशन और अन्य संगठनों जैसे फ्रेमवर्क के बीच आपदा जोखिम कम करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को निरंतर बढ़ावा दे रहा है

कोविड-19 ने हमारी दुनिया के परस्पर संबद्धता के स्‍वरूप को उजागर किया है, इसलिए हमें घरेलू स्तर के साथ-साथ वैश्विक व्यवस्थाओं में भी आपदा प्रतिरोधी व्‍यवस्‍था अपनानी चाहिए

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने आज संयुक्त राष्ट्र के एशिया और पेसेफिक के लिए आर्थिक व सामाजिक आयोग (UNESCAP) के आपदा, जलवायु और स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित मंत्रालयी पैनल की क्षेत्रीय परिचर्चा में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए भाग लिया। परिचर्चा में आस्‍ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, मालदीव, पापुआ न्‍यू गिनी और थाइलैंड के मंत्री भी शामिल हुए। अपने संबोधन में श्री नित्यानंद राय ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी हमेशा दुनिया को सहयोग और दुनिया से सहयोग के भाव से काम करते हैं। श्री राय ने कहा कि हम सभी कोविड-19 महामारी से लड़ रहे है। इस महामारी के बीच उष्‍ण कटिबंधीय चक्रवात, बाढ़, भूस्‍खलन, और सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में लोगों, विशेष रूप से हमारी जनसंख्‍या के गरीब और कमजोर तबके, की कठिनाईयों और पीड़ाओं को कई गुना बढ़ा दिया है।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि वे भारत के अनुभवों से कुछ मुख्‍य सीख साझा करना चाहते हैं जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रतिरोधी भविष्‍य बनाने में सहायक हो सकती है। उन्होने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान आपदा जोखिम प्रबंधन क्षेत्र में भारत की उप‍लब्धियों से संतुष्‍ट होने के कई कारण है। हमें जानी-पहचानी अपदाओं से होने वाली हानियों के जोखिम को कम करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए साथ ही हमें अज्ञात अथवा अप्रत्‍याशित आपदा जोखिमों से निपटने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। कोविड-19 ने हमें अनियंत्रित आपदा के खतरे से अवगत कराया है। इसने यह दिखा दिया है कि किस प्रकार आपदा का प्रभाव तेजी से बढ़ सकता है। जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं इसका काफी कुप्रभाव पड़ सकता है तथा प्रकृति एवं मानव को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। श्री नित्यानंद राय ने कहा कि विश्व की इस चुनौती में भारत सदैव वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर अपना योगदान देने के लिये खड़ा है और आगे भी खड़ा रहेगा।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि प्राचीनकाल से ही भारत में पर्यावरण को लेकर सतर्कता और सजगता रही है। ऋग्वेद की एक ऋचा में कहा गया है कि ‘’पर्यावरण लोगों को सही जीवन जीने हेतु खुशी प्रदान करता है। नदियां जल प्रदान करती है तथा हमें स्‍वास्‍थ्‍य, रात्रि, प्रात: काल व वनस्‍पति प्रदान करती है। सूर्य हमें शांत जीवन प्रदान करता है। गायें हमें दूध देती है”। उन्होने कहा कि नवम्बर, 2016 में आपदा न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रियों के सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर 10-बिंदुओं का एजेंडा रेखांकित किया था जिसमें स्‍थायी विकास के उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने में आने वाली महत्‍वपूर्ण चुनौतियों को दूर करने तथा आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के लिए नए प्रयासों के बारे में उपाय एवं पहुंच शामिल है, जिससे हम सभी अवगत हैं। उन्होने कहा कि भारत के पास अब आपदा जोखिम प्रबंधन चक्र के सभी पहलुओं के वित्तपोषण के लिए पहले से तैयार तरीके उपलब्‍ध हैं। हमारे पास आपदा न्‍यूनीकरण, तैयारी, राहत और बचाव, साथ ही रिकवरी और पुनर्निमाण के लिए समर्पित संसाधन भी उपलब्‍ध हैं।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर, भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 23 सितंबर, 2019 को यू.एन. क्‍लाइमेट एक्‍शन समिट में वैश्विक आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना समूह की घोषणा की। इस वर्ष मार्च में आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने एक ऐसे वैश्विक ईको-सिस्‍टम को सुदृढ़ करने की आवश्‍यकता का आह्वान किया जो विश्‍व के सभी हिस्‍सों में नवाचार का समर्थन करता हो और इसे उन स्थानों पर लाया और ले जाया जा सके जहां इसकी सबसे अधिक आवश्‍यकता हो। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “इंफ्रास्ट्रक्चर दीर्घावधि के लिए तैयार किए जाते हैं। यदि हम इसे आपदा प्रतिरोधी बनाएं, तो हम न केवल स्वयं को आपदाओं से बचाएंगे बल्कि भावी पीढ़ियां भी आपदाओं से सुरक्षित रहेंगी। हमें नुकसान को उसकी समग्रता में देखना चाहिए। व्यवधानों के कारण छोटे व्यवसायों में अप्रत्यक्ष हानियां और बच्चों की बाधित शिक्षा कई गुना अधिक हो सकती है। इस स्थिति में एक समग्र क्रमिक विकास के लिए सही परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि यदि हम अपने इंफ्रास्टक्चर को आपदा प्रतिरोधी बनाते हैं तो हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों नुकसान को कम करेंगे और लाखों लोगों की आजीविका सुरक्षित करेंगे।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि कोविड-19 ने हमें किस प्रकार आपदा जोखिम को कम करने के लिए काम किया जाता है और क्‍या प्रक्रिया अपनाई जाती है तथा उसमें क्या परिवर्तन लाया जाए, यह बताया है। वैश्विक संकट ने हमें जो सबक दिए हैं उसके कारण विभिन्न राजनेताओं की सहायता से विभिन्न एजेंसी तथा क्रॉस-सेक्टोरल शासन निकाय भी सक्रिय हुए। अब, चुनौती है कि इन तदर्थ व्यवस्थाओं को भविष्योन्मुखी, बहु-आपदा जोखिम शासन प्रणालियों में संस्थागत बनाते हुए, रोकथाम करने के लिए बहु-क्षेत्रीय मॉडल और धुरी अपनाये जो भविष्य में हमें इसका बहुत फायदा पहुंचाएगा। आज हमें इस प्रयास को और मजबूती से जारी रखने की ज़रूरत है। उन्होने कहा कि भारत द्वारा की गयी पहलें वैश्विक महामारी को नियंत्रित करने के लिए ‘’अभूतपूर्व’, निजी, राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय कार्रवाई’’ के संबंध में संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव के आह्वान के अनुरूप हैं। एसकेप (ESCAP) तथा यूएन सिस्‍टम एक ऐसी अंतरराष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं जिसमें संक्रामक बीमारियों की निरंतर मॉनीटरिंग की जा सके तथा उनके बारे में देशों के साथ जानकारी साझा की जा सके।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि विगत छ: वर्षों से भारत, सार्क, बिमस्टेक, शंघाई सहयोग संगठन, इंडियन ओशन रिम एसोसियशन, फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड कार्पोरेशन और अन्य संगठनों जैसे फ्रेमवर्क के बीच आपदा जोखिम कम करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को निरंतर बढ़ावा दे रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) दक्षिण एशिया में उष्ण कटिबधीय चक्रवातों और तटीय आपदाओं के प्रबंधन के लिए प्रचालनात्मकऔर अनुसंधान सहायता प्रदान करने के लिए उष्ण कटिबंधीय चक्रवात पर WMO / ईसीएपी पैनल को सहायता देने हेतु मूल आधार है।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि वे UN ESCAP की एशिया-प्रशांत आपदा रिपोर्ट 2019 का संदर्भ देना चाहेंगे जिसमें बाढ़ संबंधी समस्याओं के साथ नुकसानों में हुई काफी बढोतरी को दर्शाया है और जिसके वर्ष 2030 तक और भी खराब होने की आशंका है। इस रिपोर्ट के हिसाब से पूरे एशिया में गंभीर जलवायु परिवर्तन की स्थिति में, लगभग 50 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष के नुकसान के साथ भारत सबसे अधिक प्रभावित होगा। उन्होने कहा कि अब समय आ गया है कि UN ESCAP बदलती जलवायु में बाढ़ प्रबंधन के लिए कुछ अग्रगामी कदम उठाए। श्री राय ने अंतरराष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन के लिए एक क्षेत्रीय सहयोग व्यवस्था बनाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस प्रयास में भारत सरकार अपनी संस्थाओं के माध्यम से सहयोग सहित सभी प्रकार का समर्थन देने के लिए तैयार है।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि समुदायों और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता अगली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन, सी.ओ.पी. 26 का एक प्रमुख एजेंडा आइटम है। अप्रत्याशित स्तर की बाढ़ का समाधान ढूँढना जलवायु अनुकूलन को तेज करने एवं प्रतिरोधी उपायों के लिए आवश्यक हैं। समय आ गया है कि UN ESCAP अंतरराष्ट्रीय बाढ़ के प्रबंधन के लिए क्षेत्रीय सहयोग की एक प्रणाली पर कार्य करे और उसे सक्रिय करे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथन है कि “हमें एक जीरो डिफेक्ट और जीरो इफ़ेक्ट प्रणाली की तरफ बढ़ना है। जीरो डिफेक्ट प्रोडक्शन पर्यावरण को दूषित होने से बचाएगा”। हमें आपदा प्रतिरोधी व्‍यवस्‍था लाने के आवश्यक तत्वों के रूप में जानकारी प्राप्त करने चाहिए और अनुभव साझा करना चाहिए। कोविड-19 ने हमारी दुनिया के परस्पर संबद्धता के स्‍वरूप को उजागर किया है। इसलिए, हमें घरेलू स्तर के साथ-साथ वैश्विक व्यवस्थाओं में भी आपदा प्रतिरोधी व्‍यवस्‍था अपनानी चाहिए। श्री नित्यानंद राय ने उम्मीद जताई कि यह क्षेत्रीय सहयोग महामारी सहित प्रणालीगत और जटिल आपदाओं के प्रबंधन के नए अवसर उपलब्ध कराने में मददगार होगा।========================Courtesy=============================
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