बीमा संशोधन विधेयक-2021 राज्यसभा में पारित, बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 % से बढाकर 74 % करने का प्रावधान
todayindia,todayindia news,today india,today india news in hindi,Headlines,Latest News,Breaking News,Cricket ,Bollywood24,today india newsराज्यसभा ने आज बीमा संसोधन विधेयक 2021 को विचार के बाद पारित कर दिया। इस विधेयक में 1938 के बीमा विधेयक को संशोधित करने की व्यवस्था है जिससे भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ जाएगी। विधेयक के अनुसार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा वर्तमान 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है।
राज्यसभा ने जब इस विधेयक पर चर्चा शुरू की तो कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर भारी शोर-शराबा किया जिससे सदन की बैठक कई बार स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सदस्यों की मांग थी कि विधेयकों को विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
बहस शुरू करते हुए भाजपा के अरूण सिंह ने कहा कि इस विधेयक का एलआईसी के निजीकरण से कुछ भी लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र को 1991 में निजी कंपनियों के लिए खोला जा चुका है। जिससे बड़े पैमाने पर बीमा सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद मिली है।
बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के आनंद शर्मा ने सवाल किया कि अगर सरकार देश की बीमा कंपनियों का स्वामित्व विदेशी कंपनियों को सौंप देती है, तो भारत किस तरह आत्मनिर्भर हो पाएगा? उन्होंने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार बीमा क्षेत्र के इतने बड़े पैमाने पर निजीकरण की जल्दबाजी क्यों कर रही है?
डीएमके पार्टी के तिरूचिशिवा ने कहा कि यह बात समझ में आती है कि सरकार को धन की जरूरत है लेकिन ऐसा सामान्य बीमा कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के हितों की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के विधेयक के पारित हो जाने से आम आदमी के लिए बीमा कराना बड़ा महंगा हो जाएगा। समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद निशाद ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज सिन्हा ने भी उनका समर्थन किया। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या निजी कंपनिया कर्मचारियों के हितों की रक्षा कर पाएंगी और आरक्षण की व्यवस्था बनी रहेगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने भी विधेयक को लेकर सवाल किए। टीआरएस के बांडा प्रसाद शिव सेना के अनिल देसाई सहित अनेक चर्चो में हिस्सा लिया।
बहस के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि प्रत्येक बीमा कंपनी के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत होना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा बढ़ाने मतलब स्वत: विदेशी निवेश नहीं है और प्रत्येक कंपनी के लिए निवेश की सीमा तय की जाएगी। बाद में सदन ने विधेयक को पारित कर दिया।
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