डीआरडीओ ने कोविड-19 नमूना संग्रहण के लिए कियोस्क विकसित किया
रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), हैदराबाद ने कोविड नमूना संग्रह कियोस्क (कोवसैक/COVSACK) विकसित करके कोरोनावायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की सूची में एक और उत्पाद शामिल कर दिया है।
डीआरडीएल ने इस यूनिट को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), हैदराबाद के डॉक्टरों के परामर्श से विकसित किया है। कोवसैक/COVSACK संदिग्ध संक्रमित रोगियों से कोविड-19 नमूने लेने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के उपयोग हेतु एक कियोस्क है। कोविड परीक्षण के लिए कियोस्क में अंदर प्रवेश करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य कर्मी दस्ताने के माध्यम से बाहर से ही एक फोहे में नाक या मुँह से सैंपल/सवैब ले सकता है।
कियोस्क मानव भागीदारी की आवश्यकता के बिना स्वतः संक्रमण रहित हो जाती है, जिससे प्रक्रिया संक्रमण के फैलने से मुक्त हो जाती है। कियोस्क केबिन की परिरक्षण स्क्रीन स्वास्थ्य कर्मी को नमूना लेते समय एयरोसोल/ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन से बचाती है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई बदलने कम आवश्यकता पड़ती है।
रोगी के कियोस्क छोड़ने के बाद, कियोस्क केबिन में लगे हुए चार नोजल स्प्रेयर 70 सेकंड की अवधि के लिए कीटाणुनाशक धुंध छिड़ककर खाली कक्ष को कीटाणुरहित कर देते हैं। इसे पानी और यूवी कीटाणुशोधन के साथ आगे निकाल दिया जाता है। यह सिस्टम दो मिनट से भी कम समय में अगले उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। कोवीसैक/ COVSACK के साथ समेकित दोहरी संचार प्रणाली/टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम के माध्यम से वॉयस कमांड/ध्वनि निर्देश दिया जा सकता है। चिकित्सा कर्मियों की आवश्यकतानुसार कोवसैक/COVSACK को अंदर या बाहर की तरफ से समान रूप से इस्तेमाल करना संभव है।
कोवसैक/COVSACK की लागत लगभग एक लाख रुपये है और कर्नाटक के बेलगाम स्थित चिन्हित उद्योग प्रतिदिन इसकी 10 इकाइयों मुहैया कर सकता है। डीआरडीओ ने कोवसैक/COVSACK की दो इकाइयों का डिजाइन एवं विकसन किया है और सफल परीक्षण के बाद इन्हें ईएसआईसी अस्पताल हैदराबाद को सौंप दिया गया है।
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