• Wed. May 8th, 2024

जबलपुर। जबलपुर के सांसद और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह यूं तो 2011 से जल के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। उन्होंने 2011 में सैकड़ों किलोमीटर की जल रक्षा यात्रा निकाली। संगोष्ठी की और तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर उन्हें संरक्षित किया, लेकिन आज उनके हिस्से में एक विशेष उपलब्धि जुड़ गई। उनके आव्हान पर जबलपुर के निकट गौर नदी पर जन सहयोग से एक बांध तैयार किया गया। इस बांध के(todayindia)(latest news)(breaking news)(national news)(bollywood news)(cricket news)(sports news)(political news) निर्माण में श्री राकेश सिंह ने हजारों लोगों के साथ स्वयं भी निरंतर श्रमदान किया। यह विशेष उपलब्धि इसलिए है, क्योंकि प्रधानमंत्री जी के आह्वान के बाद यह बांध देश में जन सहयोग की पहली जीवंत कृति बन गया है। प्रधानमंत्री जी ने हाल ही में मन की बात में पानी के संरक्षण के लिए जनभागीदारी और जनचेतना पर जोर दिया था। जबलपुर का यह बांध देश में पहला बांध है, जो जन सहयोग से मात्र 9 दिन में तैयार हुआ। आज वहां लगभग 11 फीट पानी रुकने के बाद आगे बढ़ रहा है। जिस स्थान पर बांध बनाया गया है, वहां भूजल स्तर 300 फीट के नीचे जा चुका है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र शेखावत आज उसका लोकार्पण करने पहुंचे। इस अवसर पर पर्यावरणविद ‘पद्मश्री’ श्री महेश शर्मा एवं प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह उपस्थित थे।


बांध के लोकार्पण के अवसर पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि हमारे देश में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी रहती है और पानी की उपलब्धता सिर्फ 4 प्रतिशत है। स्थिति गंभीर है। हमारे लिए यह बहुत जरूरी है कि हम जल का संरक्षण करें, विवेकपूर्ण उपयोग करें और उपयोग किए गए जल का पुर्नउपयोग करें। जल संरक्षण का हमारा आंदोलन जब तक पड़वार ग्राम में इस बांध के निर्माण की तरह जन आंदोलन नहीं बन जाता, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षित नहीं रख पाएंगे। हमें सोच बदलनी पड़ेगी। हम बहुत आसानी से कह देते हैं कि “पानी की तरह पैसा बहा दिया“, अब हमें कहना चाहिए कि “पैसे की तरह पानी को खर्च करें“।

जल धारण क्षमता बढ़ाना जरूरी

केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि हमारे देश की जल धारण क्षमता सिर्फ 8 प्रतिशत है, जबकि जल के मामले में हमारी 65 प्रतिशत जरूरत भूमिगत जल पर निर्भर है। हम भूमिगत जल का सिर्फ दोहन कर रहे हैं, उसे बढ़ाने, संरक्षित करने में योगदान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने पड़वार गांव में गौर नदी पर गेबियन बोल्डर बांध के निर्माण में प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेशसिंह के कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले सभी लोगों, जनप्रतिनिधियों का आभार जताते हुए उनका अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह का प्रयास यहां इस बांध के रूप में किया गया है, ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से हम धरती की जलधारण क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।

मजदूरी नहीं, सामाजिक कार्य सफल होते हैं : शर्मा

लोकार्पण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पर्यावरणविद ‘पद्मश्री’ श्री महेश शर्मा ने कहा कि पडवार ग्राम का यह प्रयास निश्चित रूप से सफल होगा, क्योंकि इसे मजदूरी समझ कर नहीं किया गया है, बल्कि एक सामाजिक कार्य के रूप में लोगों ने इसमें भागीदारी की है। उन्होंने कहा कि गौर नदी का पानी रोकने के लिए किया गया यह छोटा सा प्रयास जन आंदोलन बनेगा और ऐसे छोटे-छोटे प्रयास ही भारत को सफल बनाएंगे।(todayindia)(latest news)(breaking news)(national news)(bollywood news)(cricket news)(sports news)(political news)

मिलकर प्रयास करें, तभी अगली पीढ़ियों को दे पाएंगे समृद्ध जल विरासतः राकेश सिंह

प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद राकेश सिंह ने कहा कि पड़वार गांव में गौर नदी पर बना यह बांध एक छोटा प्रयास है। लेकिन यह बताता है कि अगर हम सब लोग आगे आएं, मिलकर जल संरक्षण के प्रयास करें, गांव-गांव में पानी रोकें तभी हम लगातार सूखती जा रही धरती की परतों को बचा पाएंगे और आने वाली पीढ़ियों को एक समृद्ध जल विरासत सौंप पाएंगे।

लगातार भयावह हो रहा जलसंकट

प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने कहा कि मैं जल यात्रा एवं अन्य आयोजनों के माध्यम से 2011 से जल संरक्षण के प्रयासों में लगा हूं। मैंने उस समय भी यह कहा था और आज भी कह रहा हूं कि लोगों को जलसंकट की भयावहता का अहसास नहीं है, जो लगातार गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्षा का 47 प्रतिशत पानी व्यर्थ चला जाता है, जिसे हम रोककर धरती के अंदर नहीं उतार पाते। इसके चलते भूमिगत जल लगातार कम होता जा रहा है। देश की आजादी के समय हमारे पास प्रत्येक व्यक्ति के लिए 5 हजार घनमीटर भू-जल उपलब्ध था, जो 2025 में सिर्फ 1500 घनमीटर रह जाएगा। 2050 तक तो प्रतिव्यक्ति 1000 घनमीटर भू-जल ही बचेगा।

हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे

श्री राकेश सिंह ने कहा कि हमें यह विचार करना होगा कि मध्यप्रदेश में इतनी अच्छी वर्षा होती है, नदियों का जाल बिछा है, फिर भी मां नर्मदा के तट पर जलसंकट क्यों है? उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि हम सरकार के भरोसे रहे, खुद कुछ नहीं किया और हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। हमारे पूर्वजों ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने जल की एक समृद्ध विरासत हमें सौंपी थी। हमें खुद आगे बढ़कर जल संरक्षण के प्रयासों में भाग लेना होगा, जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाना होगा। जल संरक्षण के लिए छोटे-छोटे रूप में हम हर गांव में पानी रोकें।

पड़वार का डेम एक छोटा प्रयास

श्री सिंह ने कहा कि पड़वार का गेबिनयन बोल्डर डेम एक छोटा प्रयास था, जिसे नौ दिनों में जनभागीदारी और जनसहयोग से तैयार किया गया। यह बताता है कि यदि हम हर गांव में जल संरक्षण के ऐसे प्रयास करें, तो भू-जल स्तर ऊपर उठेगा। श्री सिंह ने गौर नदी पर इस बांध के निर्माण में उनके साथ पसीना बहाने वाले सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि अकुशल हाथों से बनाया गया यह बांध तेज बारिश के बावजूद आज तक सुरक्षित है।(todayindia)(latest news)(breaking news)(national news)(bollywood news)(cricket news)(sports news)(political news)

aum

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *