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वाराणसी में ‘इंटरनेशनल कॉपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर – रुद्राक्ष’ के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

वाराणसी में ‘इंटरनेशनल कॉपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर – रुद्राक्ष’ के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन
narendra modi,Primeminister narendra modi,PM,prime minister of india15 Jul, 2021
वाराणसी में ‘इंटरनेशनल कॉपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर – रुद्राक्ष’ के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन
हर हर महादेव ! हर हर महादेव ! कार्यक्रम में मेरे साथ उपस्थित उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उर्जावान और लोकप्रियमुख्यमंत्रीश्रीमानयोगी आदित्यनाथ जी, भारत में जापान के एंबेसडर श्रीमान सुजुकी सातोशी जी, संसद में मेरे सहयोगी राधा मोहन सिंह जी, काशी के सभी प्रबुद्धजन, और सम्मानित साथियों!

अभी अपने पिछले कार्यक्रम में मैंने काशीवासियों से कहा था कि इस बार काफी लंबे समय बाद आपके बीच आने का सौभाग्य मिला। लेकिन बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले ही लंबा हो जाए, लेकिन ये शहर जब मिलता है तो भरपूर रस एक साथ ही भरकरकेदे देता है।अब आप देखिए, भले दिन ज्यादा हो गए हों, लेकिन जब काशी ने बुलाया तो बनारस वासियों ने एक साथ इतने विकास कामों की झड़ी लगा दी। एक तरह से आज महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी है। आज ही सैकड़ों करोड़ की अनेक योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ, और अबयेरुद्राक्ष convention सेंटर ! काशी का प्राचीन वैभव अपने आधुनिक स्वरूपयानि एक प्रकार से आधुनिक स्वरूप में अस्तित्व में आ रहा है। काशी के बारे में तो कहते ही हैं, बाबा की ये नगरी कभी थमती नहीं, कभी थकती नहीं, कभी रुकती नहीं! विकास की इस नई ऊंचाई ने काशी के इस स्वभाव को एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। कोरोनाकाल में जब दुनिया ठहर सी गई, तब काशी संयमित तो हुई, अनुशासित भी हुई, लेकिन सृजन और विकास की धारा अविरल बहती रही। काशी के विकास के ये आयाम, ये ‘इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर- रुद्राक्ष’ आज इसी रचनात्मकता का, इसी गतिशीलता का परिणाम है। मैं आप सभी को, काशी के हर एक जन को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। विशेष रूप से मैं भारत के परम मित्र जापान को, जापान के लोगों को, प्राइम मिनिस्टर श्री शुगा योशीहिदे को और एंबेसडर श्री सुजुकी सातोशी जी कोबहुत-बहुतधन्यवाद देता हूँ।औरअभी हमनेप्रधानमंत्री जी कावीडियो संदेश भी देखा। उनके आत्मीय प्रयासों से काशी को ये उपहार मिला है। प्राइम मिनिस्टर श्री शुगा योशीहिदे जी उस समय चीफ़ कैबिनेट सेक्रेटरी थे। तब से लेकर पीएम की भूमिका तक, लगातार वो इस प्रोजेक्ट में व्यक्तिगत रूप से involve रहे हैं। भारत के प्रति उनके इस अपनेपन के लिए हर एक देशवासी उनका आभारी है।

साथियों,

आज के इस आयोजन में एक और व्यक्ति हैं, जिनका नाम लेना मैं भूल नहीं सकता। जापान के ही मेरे एक और मित्र- शिंजो आबे जी। मुझे याद है, शिंजों आबे जी जब प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे, तो रुद्राक्ष के आइडिया पर उनसे मेरीलंबीचर्चा हुई थी। उन्होंने तुरंत ही अपने अधिकारियों से इस आइडिया पर काम करने को कहा। इसके बाद जापानका जो कल्चर है, चिरपरिचित। उनकी विशेषता है perfection और प्लानिंग।इसकेसाथ इस पर काम शुरू हुआ, और आज ये भव्य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है। इस इमारत में आधुनिकता की चमक भी है, और सांस्कृतिक आभा भी है। इसमें भारत जापान रिश्तों का connect भी है, और भविष्य के लिए अनेकों संभावनाओं का स्कोप भी है। मेरी जापान यात्रा के समय हमने दोनों देशों के रिश्तों में, people to people relations में इसी अपनेपन की बात कही थी, हमने जापान से ऐसे ही सांस्कृतिक संबंध की रूपरेखा खींची थी। मुझे खुशी है कि आज दोनों देशों के प्रयासों से विकास के साथ साथ रिश्तों में मिठास का नया अध्याय लिखा जा रहा है। काशी के रुद्राक्ष की तरह ही अभी कुछ हफ्ते पहले ही गुजरात में भी जापानी ज़ेन गार्डेन और काइज़ेन अकैडमी का भी लोकार्पण हुआ था। जैसे ये रुद्राक्ष जापान की ओर से भारत को दी गई प्रेम की माला की तरह है, वैसे ही ज़ेन गार्डेन भी दोनों देशों के आपसी प्रेम की सुगंध फैला रहा है। इसी तरह, चाहे strategic area हो या economic area, जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। हमारी दोस्ती को इस पूरे क्षेत्र की सबसे natural partnerships में से एक माना जाता है। आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और विकास को लेकर भी कई अहम और सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में जापान हमारा साझीदार है। मुम्बई-अहमदाबाद हाइस्पीड रेल हो, दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर हो, या डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉरहो, जापान के सहयोग से बन रहे ये प्रोजेक्ट्स न्यू इंडिया की ताकत बनने वाले हैं।

साथियों,

भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। ये विकास सर्वमुखी होना चाहिए, सबके लिए होना चाहिए, और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। हमारे पुराणों में कहा गया है-

तत्र अश्रु बिन्दुतो जाता, महा रुद्राक्ष वृक्षाकाः। मम आज्ञया महासेन, सर्वेषाम् हित काम्यया॥

अर्थात्, सबके हित के लिए, सबके कल्याण के लिए भगवान शिव की आँख से गिरी अश्रु बूंद के रूप में रुद्राक्ष प्रकट हुआ। शिव तो सबके हैं, उनकी अश्रु बूंद मानव मात्र के लिए स्नेह का, प्रेम का प्रतीक ही तो है। इसी तरह ये इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर-रुद्राक्ष भी पूरी दुनिया को आपसी प्रेम, कला और संस्कृति के जरिए जोड़ने का एक माध्यम बनेगा। और काशीकी बात ही क्याकाशीतो वैसे भी दुनिया का सबसे प्राचीन जीवंत शहर है। शिव से लेकर सारनाथ में भगवान बुद्ध तक, काशी ने आध्यात्म के साथ साथ कला और संस्कृति को सदियों से सँजोकर रखा है। आज के समय में भी, तबला में ‘बनारसबाज’ की शैली हो, ठुमरी, दादरा, ख्याल, टप्पा और ध्रुपद हो, धमार, कजरी, चैती, होरी जैसी बनारस की चर्चित और विख्यात गायन शैलियाँ हों, सारंगी और पखावज हो, या शहनाई हो, मेरे बनारस के तो रोम रोम से गीत संगीत और कला झरती है। यहाँ गंगा के घाटों पर कितनी ही कलाएं विकसित हुई हैं, ज्ञान शिखर तक पहुंचा है, और मानवता से जुड़े कितने गंभीर चिंतनइस मिट्टी मेंहुये हैं। और इसीलिए, बनारस गीत-संगीत का, धर्म-आध्यात्म का, और ज्ञान-विज्ञान का एक बहुत बड़ा ग्लोबल सेंटर बन सकता है।

साथियों,

बौद्धिक विमर्शों के लिए, बड़ी सेमीनार्स और कल्चरल events के लिए बनारस अपने आप में एक आइडियल लोकेशन है। देश विदेश से लोग यहाँ आना चाहते हैं, यहाँ रुकना चाहते हैं। ऐसे में अगर यहाँ इसी तरह की events के लिए सुविधा मिलेगी, इनफ्रास्ट्रक्चर होगा तो स्वाभाविक है, बड़ी संख्या में कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे। रुद्राक्ष इन्हीं संभावनाओं को आने वाले दिनों में साकार करेगा, देश विदेश से कल्चरल एक्सचेंज का एक सेंटर बनेगा। उदाहरण के तौर पर बनारस में जो कवि सम्मेलन होते हैं, उनके फैन पूरे देश में और दुनिया में हैं। आने वाले समय में इन कवि सम्मेलनों को वैश्विक प्रारूप में इस सेंटर में आयोजित किया जा सकता है। यहाँ बारह सौ लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ सभागार और सम्मेलन केंद्र भी है, पार्किंग सुविधा भी है, और दिव्यांगजन के लिए भी विशेष इंतजाम हैं। इसी तरह, पिछले 6-7 सालों में बनारस के handicraft और शिल्प को भी प्रमोट करने, मजबूत करने की दिशा में काफी काम हुआ है। इससे बनारसी सिल्क और बनारसी शिल्प को फिर से नई पहचान मिल रही है, यहाँ व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। रुद्राक्ष इन गतिविधियों को भी बढ़ाने में मदद करेगा। इस इनफ्रास्ट्रक्चर का कई तरह से business activities में इस्तेमाल किया जा सकता है।

साथियों,

भगवान विश्वनाथ ने तो खुद ही कहा है-

सर्व क्षेत्रेषु भूपृष्ठे काशी क्षेत्रम् च मे वपुः।

अर्थात्, काशी का तो पूरा क्षेत्र ही मेरा स्वरूप है। काशी तो साक्षात् शिव ही है। अब जब पिछले 7 सालों में इतनी सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रंगार हो रहा है, तो ये श्रंगार बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था? अब जब ये रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी का विकास और ज्यादा चमकेगा, और ज्यादा काशी की शोभा बढ़ेगी। अब ये काशीवासियों की ज़िम्मेदारी है, मैं आप सबसे विशेष आग्रह भी करता हूँ, कि रुद्राक्ष की शक्ति का पूरा उपयोग आपको करना है। काशी के सांस्कृतिक सौंदर्य को, काशी की प्रतिभाओं को इस सेंटर से जोड़ना है। आप जब इस दिशा में काम करेंगे तो आप काशी के साथ पूरे देश को और दुनिया को भी जोड़ेंगे। जैसे जैसे ये सेंटर सक्रिय होगा, इसके जरिए भारत-जापान के रिश्तों को भी दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी। मुझे पूरा विश्वास है, महादेव के आशीर्वाद से आने वाले दिनों में ये सेंटर काशी की एक नई पहचान बनेगा, काशी के विकास को नई गति देगा। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।मैं फिर एक बारजापान सरकार का जापान के प्रधानमंत्री जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं, और बाबा को ये ही प्रार्थना करता हूं।आपसबकोस्वस्थरखें, खुशरखें, सजगरखें और कोरोना के सारे प्रॉटाकॉल का पालन करने की आदत बनाए रखें। आप सबकाबहुत बहुत धन्यवाद !हर हर महादेव।
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